श्री निवास श्रीकांत |
जन्म : 12 सितम्बर,1937-दिल्ली में
शिक्षा : स्नातक ( पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़)
पहाड़ी रियासत 'बघाट' के नरेश से
नाराज़ होकर पिता पहाड़ छोड़कर निकल
पड़े तो बचपन गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली के
विभिन्न स्थानों में बीता। सन 1950 में वापस
लौटकर शिमला के निकट तहसील ठियोग के
एक गांव में आ बसे। सन 1954 में चंडीगढ़ आए
और 1956 में घर से भागकर एक साल निराला जी
के संसर्ग में रहे।
पहली कविता सन 1954 में छपी। उसके बाद से
साहित्य, रंगमंच, चित्रकला तथा संगीत आदि
विधाओं से सृजनात्मक स्तर पर जुड़े रहे।
अध्यान: हिन्दी साहित्य के व्यापक अध्ययन के अतिरिक्त
गुजराती व बंगला साहित्य भी पढ़ा । विदेशी साहित्य में
जर्मन, फ्रैंच, अंग्रेज़ी, लातीनी-अमरीकी, बीट काव्य तथा
नीग्रो काव्य आदि का अध्ययन किया।
लेखन: जटायु (तीन लम्बी कविताओं का संकलन),
नियति, इतिहास और जरायु (कविता संग्रह)
बात करती है हवा (कविता संग्रह)
घर एक यात्रा है (कविता संग्रह)
हर तरफ़ समन्दर है (ग़ज़ल संग्रह)
संपादन: एक भूखण्ड (कविता संकलन)
कथा में पहाड़ ( कहानी संकलन)