कुछ बिम्बित क्षण : श्रीनिवास श्रीकांत

दृश्य
खिड़कियों से
दिखायी दे रहा दृश्य
घूमती हैं खिड़कियां
दृश्य के गिर्द
और धुल जाती हैं
दृश्य ही में

गलिया

बस्ती में खुलती हैं
अंधेरे की
गलियां
पानी की सतह पर
तैरते हैं
चांदनी के छिछड़े

स्थिति


एकान्त घर में

अकेली
एक औरत
कर रही
कपड़े इस्त्री
आकाश के पेट में
धंसता जा रहा सूरज


दुख


दफ्तर से लौटने के बाद

वह आदमी
डूबा है
अपने दुख में

टटोलता

अपने अन्दर
फाइलों के पन्ने।

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